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Sunday 1 July 2012

Amritdhara


अमृतधारा बहुत ही आकर्षक जगह है। यह बहुत ही सुन्दर प्राकृतिक स्थल है, जो मन को शांति प्रदान करता है. अमृतधारा अपने सौंदर्य के साथ अपने झरने के लिए भी बहुत मशहूर है। बरसात में झरने को देखने से ऐसा प्रतीत होता है जैसे हम भेडाघाट के धुनाधर में खड़े हो कर झरने का आनद प्राप्त कर  रहे है।

अमृतधारा एक पहाड़ी इलाका है जो चारो तरफ से पहाड़ो से घिरा हुआ है. अमृतधारा बहुत बड़े इलाके में फैला हुआ है। जो कि लोगो को आने के लिए आकर्षित करता है और उनके मन को शीतलता प्रदान करता है। अमृतधारा लोगो के लिए पिकनिक मनाने का बहुत ही उत्तम स्थल है।
अमृतधारा का पानी बहुत ही निर्मल और साफ़ है। जिसमे जब शाम को सूरज की किरणे पड़ती है तो यहाँ का पानी कांच की तरह चमकता है और यहाँ की रेट इतनी साफ़ और चमकदार है जो सूरज किरणे पड़ने पर सूरज की तरह चमकती है। अमृतधारा पूरी तरह से पहाड़ी और जंगली इलाका है। जिस कारण शाम होते ही यहाँ बहुत से जंगली जानवर जैसे भालू, चीता, सियार, लोमड़ी, सांप, लकडबग्घा और बन्दर जैसे जानवर सड़को पर आ जाते है।


अमृतधारा के जिस कुंड में पानी गिरता है वह कुंड सबसे खतरनाक है, या यह कहा जा सकता है वह अमृतधारा के लिए श्राप है। हम ऐसा इसलिए बोल रहे हैं की इस कुंड  में कई लोग अपनी जान गँवा चुके हैं. और जो कोई भी इस कुंड  में डूबा है वह फिर कभी जीवित बहार नहीं आ पाया है। इसलिए नगरपालिका मनेन्द्रगढ़ ने किसी को भी नीचे जाने की अनुमति नहीं दी है और स्वतः सावधानी बरतने का अनुरोध करती है। 
अमृतधारा पहुँचने के लिए मनेन्द्रगढ़ से अंबिकापुर रोड में मनेन्द्रगढ़ से 18 किमी दूर लाई ग्राम आते हैं. लाई ग्राम से बाए तरफ अमृतधारा का रास्ता जाता है, जो 8 किमी के पहाड़ी रास्ते से होता हुआ अमृतधारा तक पहुँचता है. मनेन्द्रगढ़ से इसकी दूरी 25 किमी है. मनेन्द्रगढ़ नगरपालिका ने अमृतधारा की लोकप्रियता देखते हुए पक्की सड़क बनवा कर इसे मुख्य सड़क से जोड़ दिया गया है. जिससे अमृतधारा आनेजाने का मार्ग सुगम हो गया है।

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